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Property issue

(Querist) 26 April 2020 This query is : Resolved 
Sir, mere nana jee ki char ladkiya thi. Mere nana jee ki ek jamin thi jise unhone mujhe aur mere chacha ko ek sale deed ke jariye 2005 me bainama kiya tha. us bainame me pratifal 300000 likha gaya hai. jab bainama hua tha tab meri umra 14 warsh ki thi isliliye bainama mere naam se tha parantu photo aur signature mere father ka tha. bad me mujhe pata chala ki nana jee mere chaha ko bainama nahi karana chahate the unse kisi majboori me karwaya gaya tha.
Yah ki maine ek mansukhi file kiya ki mere nana jee mujhe jamin hibba ke dwara tfr karane aaye the jabki unse dhokhe se hibba ke jagah bainama karwa liya gaya aur ye 300000 ka pratifal galat likha gaya hai kisi partifal ka aadan pradan nahi hua tha kyo ki nana hibba karne wale the.
mere nana ki death 2012 me ho gai aur maine ye mukadama 2015 me file kiya hai.
Ab mai aapse yah janana chahat hu ki kya meri mousi log mere is mukadame ko aadhar ban kar kah sakti hai ki bainama pratifal ke bina tha isliye wo void hona chahiye aur sabhi bahano ka naam chadhana chaiye.
Please reply.
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 27 April 2020
कुछ भी समझ में नहीं आ रहा की मालिक होने के वाबजूद आपने मुकदमा क्यों किया और क्यों बैनामा रद्द करवाकर बाकी दावेदारों को न्यौता देने चाह रहे हो |
Rajendra K Goyal (Expert) 27 April 2020
Your Nana Ji has executed registered sale deed favoring you and your uncle. It is doubtful in the given facts you can get more than what you have received in registered sale deed.

Your Nana Ji has expired in 2012, he is not available to depose in your favor. If the sale deed is cancelled, you may not get more than what you have received now. Property would be inherited by all legal heirs.
AMAR NATH DUBEY (Querist) 27 April 2020
Can I drawback the suit then what will impact
Raj Kumar Makkad (Expert) 27 April 2020
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना कोई आपसे सीखे। भले आदमी! जब बैनामा आपके नाम पर है (कितने हिस्से का आपके और कितना आपके चाचा के नाम पर है, यह तो आपने नहीं लिखा मगर आधा तो आपके नाम होगा ही) तो खुद ही उसको तुड़वाकर सबको बराबर हिस्सा क्यों देने पर तुले हो?
Raj Kumar Makkad (Expert) 27 April 2020
पहली बात तो यही की आपके चाचा ही बैनामे को टूटने नहीं देंगे, दूसरा-आप 2005 से 2015 तक क्या कर रहे थे, तीसरा- आप तो बैनामे के समय मात्र 14 वर्ष के थे और आपकी और से आपके पिता जी के हस्ताक्षर और फ़ोटो है तो आपको क्या पता कि उन्होंने 3 लाख रुपये आपके नाना जी को नहीं दिए, चौथी बात- आपके नानी जी ने 2005 से अपनी मृत्यु 2012 तक 7 वर्ष तक यह बात क्यूँ नहीं बताई कि उनको 3 लाख रुपये न तो कभी मिले, न उन्होंने कभी चाहे और कि उन्होंने बैचयन नहीं किया बल्कि आपके हक मे हिब्बा किया है और कि उनके साथ धोखा हुआ है।

सीधे तरीके से अपना मुकद्दमा वापिस ले लो वरना जाते रहोगे काम से।
Rajendra K Goyal (Expert) 27 April 2020
You can withdraw the suit if filed by you.
AMAR NATH DUBEY (Querist) 27 April 2020
महोदय मैं आप सभी की सलाह के लिए धन्यवाद् देता हूँ और मैं भी मुक़दमा वापस लेने के लिए तैयार हूँ परन्तु मेरा मूल प्रश्न यह है की मैंने वादपत्र पे जो यह लिखा है की यह बैनामा प्रतिफल विहीन था ऐसी स्थिति में क्या मेरी मौसी लोग वादपत्र पे लिखे गए उक्त तथ्य को आधार बनाकर की बैनामा प्रतिफल विहीन था इसलिए शुन्य होना चाहिए एक नया मुक़दमा दाखिल कर सकती है क्या?
यदि हाँ तो मेरा वादपत्र क्या इसके लिए पर्याप्त साक्ष्य होगा
Raj Kumar Makkad (Expert) 27 April 2020
यह सही बात है की आपके वाद वापिस लेने के बाद आपकी मौसियाँ आपके वादपत्र के तथ्य कि बैनामा प्रतिफल विहीत था, के आधार पर एक नया वाद डालने हेतु स्वतंत्र हैं लेकिन वे उस वाद मे इस आदार पर सफल नहीं हो सकेंगी कि प्रत्येक वादी को अपने ही पैरों पर खड़ा होना होता है न कि करीब 15 वर्ष पूर्व के नाबालिक के मौखिक आधार पर वाद मे लिखे गए तथ्य के आधार पर। ये महिलाएं अब तक कहाँ थी? यदि प्रतिफल नहीं दिया गया तो उनके पिता ने अपने जीवनकाल में इस तथ्य को क्यों नहीं उठाया, लिखित आऊर पंजीकृत बैनामा के सामने केवल मौखिक गवाही या आपके वादपत्र मे लिखा तथ्य कैसे अमान्य करेगा।। आदि आदि कई बचाव हैं। आप एक तथ्य और लिखकर अपना वाद वापिस ले सकते हैं कि मैंने अब अपने चाचा, मौसियों, पिता जी और गवाहों से तसल्ली कर ली है कि वास्तव में ही प्रतिफल दिया गया था और इस आधार पर आप अपना वाद नहीं चलाना चाहते।
आपकी मोंसियाँ खड़ी देखती रह जाएंगी।
AMAR NATH DUBEY (Querist) 28 April 2020
महोदय बस एक अंतिम संदेह का समाधान कर दीजिये जैसा की आप को ज्ञात हो चूका है की बैनामा मेरे नाना ने मुझे और मेरे चाचा को किया था और उस समय मेरी उम्र १४ वर्ष थी बैनामा विलेख पर मेरा फोटो और हस्ताक्षर नहीं था। की मेरे चाचा ने उस बैनामा विलेख को बैंक में बंधक रख कर ३२०००० का ऋण लिया और ऋण प्रपत्रों पर अपने साथ-साथ मेरे स्थान पर मेरे उम्र के एक अन्य लडके का फोटो लगाकर मेरा हस्ताक्षर बनवाया उस पर मुक़दमा दर्ज हो गया है और पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और उसमे मेरा जिरह चल रहा है। जिरह में भी मुझसे पूछा गया था बैनामे के प्रतिफल के सम्बन्ध में तो मैंने उसी दीवानी मुकदमे के आधार पर कहा था की बैनामा प्रतिफल बिहीन था यंहा मैं आपको बताना चाहूंगा की मेरे पिता जी मेरी चाची के फेवर में है जिसका लाभ चाचा उठाते है
मेरे चाचा जी यह साबित करना चाहते है की बै नामे का प्रतिफल में मेरा हिस्सा भी उन्होंने ही दिया है क्योँ की मैं नाबालिग था और मेरे पिता जी इस बात की गवाही भी कर देंगे क्यों की चाचा की जमानत भी वही करवाए हैं ऐसी स्थिति में मेरे द्वारा दीवानी मुकदमे को यह कहते हुए वापस लेना की उसमे प्रतिफल था मेरे इस क्रिमिनल मुकदमे पर और मैंने जो जिरह में कह रखा है की प्रतिफल नहीं था पर क्या प्रभाव डालेगा और वो लोग इसका क्या लाभ उठा पाएंगे मेरा क्रिमिनल केस बहुत स्ट्रांग है। मुझे क्या करना चाहिए कृपया उचित सलाह देने की कृपा करे
Rajendra K Goyal (Expert) 28 April 2020
If you withdraw the case, the present claims / suite would come to an end till you file it again, with the permission of the court taken at the time of withdrawal of the suit.
Rajendra K Goyal (Expert) 28 April 2020
Nothing from your plaint has been decided on merits.
The sale deed has not been cancelled.
Your Nana ji is not alive to give witness in the matter.
Your uncle / witness on the sale deed have not been crossed in the present suit.
Hence nothing to worry, any counter claim cannot be proved based on your present suit.
Rajendra K Goyal (Expert) 28 April 2020
Your Uncle has done a fraud, by using your name, property for Bank loan without your consent, case has been registered against him he can be punished.
Any proceeding regarding consideration can be dealt in accordance to the situation, it seems exceedingly difficult to cancel the sale deed at this stage on the basis of a case filed by any relative.

You can withdraw the suit filed by you:
Take back the suit unconditionally, do not want to continue or take back to again file it in future.
You or your lawyer do not attend the court, court may dismiss the suit on default.
Guest (Expert) 28 April 2020
What would be Orders/ Out Come of Honorable Courts can not be predicted by any one and only assumptions could be made. If you had decided to with draw the Suit you could certainly with draw and it could be suggested that if required you could negotiate with your other side in a pleasant and pleasing manner saying that you are ready to with draw the Suit filed.
AMAR NATH DUBEY (Querist) 28 April 2020
महोदय मेरे क्रिमिनल केस पे कैसा प्रभाव आ सकता है मैं यह स्पष्ट रूप से नहीं समझ पा रहा हूँ कृपया मदद करे
धन्यवाद्
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 28 April 2020
आप तथ्य किस्तों में दे रहे हैं . यदि किसी को आपसे थोड़ी भी हमदर्दी होगी तो बिना पूर्ण सत्य जाने आपको कोइ सलाह हीं देगा
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 28 April 2020
आप अब बता रहे हैं की आपके साथ जालसाजी भी हुई है और छद्म रूप से आपकी और से बंधक पात्र बनाया गया

आप तह भी बता चुके हैं की इस जालसाजी में आपके चाचा का चालान भी पेश ही गया है

आप यह भी कह रहे हैं की क्रिमिनल केस काफी मजबूत है

तो भी क्या जरूरी है की आप दीवानी पक्ष कमजोर करें
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 28 April 2020
यदि साईकिल की चेन में पजामा फंस जाये तो पजामा निकाला जाता है न की पजामा ही जला दिया जाये

आप तो उस संपत्ति पर अपनी मालकियत ही ख़तम कर रहे हैं जिसको चल से गिरवी रखा गया है
Rajendra K Goyal (Expert) 28 April 2020
Agree with the advice from expert Sudhir Kumar ji.

Discuss in detail with local lawyer.
Practically there would not be any gain by challenging the sale deed. Leave all on time after withdrawing your case.
Raj Kumar Makkad (Expert) 28 April 2020
आप पहले सारे तथ्य रख लीजिए तभी अंतिम सलाह देना उचित रहेगा क्योंकि हर बार आप एक नया प्रश्न लेकर आते हैं। और भी कुछ है या यही अंतिम है?
AMAR NATH DUBEY (Querist) 28 April 2020
It's last sir please suggest me
Raj Kumar Makkad (Expert) 28 April 2020
यदि यही अंतिम है तो ध्यान कीजिए कि आपके चाचा के विरुद्ध जो फौजदारी आपने किया है उसके तथ्य अलग हैं यद्यपि उसमें आपने अपने नाना जी के बैनामे का जीकर अपनी गवाही मे कर दिया है और आपने अपने दीवानी मुकद्दमे के आधार पर ही उसको प्रतिफल विहीन बताया है परंतु उस फौजदारी का आधार आपके नाना जी बैनामे के प्रतिफल होने या न होने का नहीं बल्कि आपके फर्जी हस्ताक्षर कराकर बैंक से ऋण प्राप्त करना है। उनको यदि सजा होगी तो इस आधार पर होगी कि उन्होंने स्वयं अथवा किसी अन्य व्यक्ति से आपके हस्ताक्षर कराकर फर्जीवाड़ा किया अथवा नहीं।

उपरोक्त आधार पर मेरे पिछले उत्तर पर फिर से जाईए और दीवानी अदालत मे यह बयान देकर कि आपने अब अपने चाचा, पिता जी और मौसियों से तसल्ली कर ली है कि बैनामा प्रतिफल के साथ था इसलिए आप अपना वाद नह चलाना चाहते और वापिस लेना चाहते हैं। इससे आपके फौजदारी पर कोई परभा नहीं पड़ेगा।
Raj Kumar Makkad (Expert) 28 April 2020
चूंकि आपकी तसल्ली फौजदारी मुकद्दमे मे आपकी गवाही के बाद आप कर पाए, इसलिए दीवानी वाद वापिस लेने कि बात करने और ऐसा ही बयान करने के कारण आपके विरुद्ध कोई झूठ बोलने अथवा न्यायालय में झूठी गवाही देने का मामला भी नहीं चलाया जा सकेगा। आप स्वतंत्र रूप से अपने चाचा के विरुद्ध चल रहे फौजदारी मामले को चलाए रख सकेंगे।
Sudhir Kumar, Advocate (Expert) 28 April 2020
तथ्य छुपाने वाला व्यक्ति यदि धोखा कर रहा है तो खुद के साथ क्योंकि अधूरे तथ्यों पर सही रे कायम करना लगभग असहनबहव होता है |

पर यदि आपने स्वयं को संपत्ति से वंचित करने का फैसला कर ही लिया है तो आपको ईश्वर भी नहीं रोक सकता
Raj Kumar Makkad (Expert) 28 April 2020
आत्महत्या करके वालों को भला रोक ही कौन पाया है? हमसे तो आपने जिन तथ्यों पर राय मांगी, हमने तो अपनी जानकारी के अनुसार कानूनी स्थिति की जानकारी देने की कोशिश की है। बाकी आपने अपने वकील साहब को किया ही हुआ है, अब शेष जानकारी उन्ही से प्राप्त कीजिए। हमारे पास उपरोक्त तथ्यों के आलोक में और अधिक विस्तार देने की क्षमता नहीं है।
Rajendra K Goyal (Expert) 29 April 2020
In the light of given facts, already advised by the experts.

You should withdraw your suit challenging the sale deed.

Case against Uncle is of fraud, would not decide the ownership of the property / sale deed etc,
Rajendra K Goyal (Expert) 29 April 2020
In the light of given facts, already advised by the experts.

You should withdraw your suit challenging the sale deed.

Case against Uncle is of fraud, would not decide the ownership of the property / sale deed etc,
Raj Kumar Makkad (Expert) 29 April 2020
यह सही है कि आपके चाचा जी के विरुद्ध आपके द्वारा दायर किए गए फोजदारी केस पर आपके द्वारा दीवानी वाद वापिस लेने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
Raj Kumar Makkad (Expert) 29 April 2020
अच्छा रहेगा कि आप अपना दीवानी वाद वापिस लेने से पहले अपने पिता जी को जरूर अपने पक्ष मे ले लेवें, जिसका आपको आगे काफी लाभ रहेगा।
AMAR NATH DUBEY (Querist) 29 April 2020
आप सभी के सलाह से मैं पूर्ण रूप से सहमत हूँ और मैंने दीवानी मुक़दमा वापस लेने का फैसला कर लिया है। परन्तु जो आप ने पिता जी को पक्ष में लेने की बात कही है उसका मैं बहुत प्रयास कर चूका हु परन्तु वह तैयार नहीं है वह क्रिमिनल केस भी वापस लेने के लिए कहते है यदि उनको पक्ष में नहीं कर सका तो क्या नुकसान हो सकता है?
धन्यवाद्
Raj Kumar Makkad (Expert) 29 April 2020
आपके पिता जी को यदि नहीं मनाया गया तो वे भी आपही की तरह से अपना दृष्टिकोण बदल सकते हैं और आपकी मौसियों द्वारा संभावित केस में गवाही दे सकते हैं कि हाँ! आपके नाना जी को बैनामे के एवज में कोई प्रतिफल नहीं दिया गया था। यद्यपि ऐसा लगता है कि आपके पिता जी आपकी मौसियों कि अपेक्षा अपने भाई के साथ ही रहना पसंद करेंगे लेकिन एक रास्ता तो खुलता है आपके नुकसान का।

मना लीजिए आपके पिता जी को किसी सांझे रिश्तेदार आदि को बीच मे लाकर। अच्छा रहेगा अन्यथा दीवानी वाद तो वापिस ले ही लीजिए।
Rajendra K Goyal (Expert) 30 April 2020
The property share is in your name, broadly, it is very difficult to loose any part of it.

The sale deed was signed before witness, duly registered, consideration is mentioned and hence paid till proved otherwise. Proving otherwise is very difficult at this stage when the seller is not alive.

If your father is asking you to compromise in the criminal case, ask your uncle to close the loan account, take back the mortgaged property and enter into partition through partition deed.
AMAR NATH DUBEY (Querist) 30 April 2020
महोदय एक बार के लिए यदि यह मान लिया जाय की पिता जी मौसी की तरफ से गवाही कर देते है और और मुक़दमा चलता है तो क्या मुझे मेरे द्वारा किये गए कब्जे का लाभ मिलेगा जैसे उस जमीन पर २००५ से ही दो कमरे बनवाये गए जिसमे हम लोग रहते हैं अभी हाल में ही मैंने पूरी जमीन पर मकान बनवाया है बिजली का बिल मेरे नाम से है हाउस टैक्स है और २००५ से ही बैंक कॉलेज अन्य संस्थाओं दवरा भेजे कई डाक प्राप्त हुए है और यदि उस मुकदमे में मैं हार जाता हूँ तो जो घर मैंने बनवाया है उसका क्या होगा क्यों की नाना जी ने केवल जमीन दिया था|
Rajendra K Goyal (Expert) 30 April 2020
You have been living in the property since than, if the property is taken away from you under court orders(Chances are very bleak), it would be the rule that any construction from you was not on the property held by you.

Even if your father give witness against you, documents are in your favor, property owned by your uncle would also be snatched if it is snatched from you, uncle would get nothing in such scnerio, he would never want that such order come

Legally you are on strong footings on the basis of documents etc.
Raj Kumar Makkad (Expert) 30 April 2020
आपके द्वारा संदर्भित जमीन पर घर यदि बनाकर रहना और मकान पर बिजली आदि तो यह सिद्ध करने के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि आपके नाना जी को प्रतिफल दिया गया था और तदनुसार ही आप अपने ही भूभाग पर काबिज हैं। यह तो आपके द्वारा दीवानी वाद को वापिस लेने का और भी ठोस आधार है।

रही आपके पिता जी कि संभावित वाद मे गवाही देने वाली बात तो उसका उत्तर पहले ही दिया जा चुका है कि आपकी मौसियों का संभावित वाद का हश्र भी ठीक आपके वाद जैसा ही होना निश्चित है क्योंकि उनका आधार तो आपसे भी कमजोर है।
Rajendra K Goyal (Expert) 01 May 2020
The present documentary status in your favor is not likely and easily to be changed on the basis of suit filed by your aunts or the criminal suit filed by you also by any evidence from your father.

You have a strong case relating to your ownership on the portion registered in your favor.
You were a minor at the time of execution of sale deed strengthen your interest.
Raj Kumar Makkad (Expert) 01 May 2020
क्योंकि बैयनामे के समय आप अवयस्क थे और आपके पिता जी ने आपकी ओर से सब स्थानों पर हस्ताक्षर किए थे, इसलिए उनकी गवाही पूरी तरह से तिरस्कृत नहीं की जा सकती।
AMAR NATH DUBEY (Querist) 01 May 2020
हां सर आप सही कह रहे है वास्तव में मेरे नाना जी के लड़के नहीं थे इसलिए मुझे मेरे नाना जी ने अपने लडके की तरह पाला था वो कानपूर में रहते थे मेरे माता पिता गोरखपुर में परन्तु जब मैं छह माह का था तभी से नाना नानी के साथ कानपूर में था मैं अपनी नानी को ही माँ बोलता था बाद में मेअ रे पिता जी मुझे अपने पास रखना चाहते थे परन्तु न मैं नाना को छोड़ के रह पाता था ना वो मुझे इस वजह से नाना और पिता जी के बीच कहा सुनी भी हुई तब मेरी उम्र १० वर्ष की रही होगी इसी बीच पिता जी का प्यार चाची के परिवार से गहरा हो गया जब यह बैनामा हुआ तब भी मैं नाना के पास ही रहता था साक्ष्य के रूप में मेरे वह के शैक्षणिक प्रपत्र है। मेरे नाना ने एक और जमीन मेरी माँ के नाम किया था माँ ने उसे मेरी पत्नी के नाम कर दिया पिता को यह बात पता चली तो उन्होंने जबरन उसी जमीन को चाची के नाम बैनामा करवा दिया उसका भी दीवानी चल रहा है। चाचा जी का फ्राड मैं आपको बता ही चूका हूँ। क्षमा कीजियेगा मैंने आपको ये सब पहले नहीं बताया क्यों की अच्छा hनहीं लगता है परन्तु लगता है जब तक सभी बात नहीं बताऊंगा सही सलाह नहीं मिल सकता।
मेरे दीवानी वाढ के कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार है
हां सर आप सही कह रहे है वास्तव में मेरे नाना जी के लड़के नहीं थे इसलिए मुझे मेरे नाना जी ने अपने लडके की तरह पाला था वो कानपूर में रहते थे मेरे माता पिता गोरखपुर में परन्तु जब मैं छह माह का था तभी से नाना नानी के साथ कानपूर में था मैं अपनी नानी को ही माँ बोलता था बाद में मेअ रे पिता जी मुझे अपने पास रखना चाहते थे परन्तु न मैं नाना को छोड़ के रह पाता था ना वो मुझे इस वजह से नाना और पिता जी के बीच कहा सुनी भी हुई तब मेरी उम्र १० वर्ष की रही होगी इसी बीच पिता जी का प्यार चाची के परिवार से गहरा हो गया जब यह बैनामा हुआ तब भी मैं नाना के पास ही रहता था साक्ष्य के रूप में मेरे वह के शैक्षणिक प्रपत्र है। मेरे नाना ने एक और जमीन मेरी माँ के नाम किया था माँ ने उसे मेरी पत्नी के नाम कर दिया पिता को यह बात पता चली तो उन्होंने जबरन उसी जमीन को चाची के नाम बैनामा करवा दिया उसका भी दीवानी चल रहा है। चाचा जी का फ्राड मैं आपको बता ही चूका हूँ। क्षमा कीजियेगा मैंने आपको ये सब पहले नहीं बताया क्यों की अच्छा hनहीं लगता है परन्तु लगता है जब तक सभी बात नहीं बताऊंगा सही सलाह नहीं मिल सकता।
मेरे दीवानी वाढ के कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार है
१ यह कि मेरे पिता का सम्बन्ध मेरी चाची से बहुत वर्ष पहले हो गया था जिससे मेरे पिता मेरी माँ व मुझसे लाड प्यार न देकर प्रताड़ित करते रहते थे।
२ यह कि मेरे नाना को सब पता था परन्तु दामाद के नाजुक रिश्ते के कारन कुछ कह यही पाते थे बल्कि मेरे व माता के भविष्य के प्रति चिंतित रहते थे
३ यह कि इसी कारन वो अपनी जमीन हिब्बा का जरिये मुझे अंतरित करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने विलेख तैयार करने के लिए पिता को स्टाम्प वगैरह खरीद कर हिब्बा नामा तैयार करने के लिए पैसे दिए
४ यह कि मेरे पिता ने हिब्बा नामा के स्थान पर बैनामा विलेख तैयार कर लिया और चाचा को गवाह के रूप में प्रस्तुत करने कि बात बताते हुए उनका नाम खरीददार के रूप में डाल दिया
५ रिलीफ में बैनामे के आधे भाग चाचा के हिस्से को मंसूख करने कि ग गई है
अब जो बैनामा नाना ने मुझे किया है उसमे ३ लाख का प्रतिफल लिखा है जिसमे मेरा हिस्सा १५०००० का है अब चाचा पिता जी को यह दावा करने के लिए कहते हैं कि जब ये नाबालिग था तो १५०००० मैंने ही दिए थे इसलिए मेरा भी उसमे हक़ होना चाहिए इसीलिए मैं इस बैनामे को प्रतिफल विहीन बताना चाहता था।
इस दावे को देख कर मौसी लोग अपना हित सोचने लगी
ऐसी स्थिति में क्या यह कहना कि मेरे हिस्से का प्रतिफल नानी ने दिया था वो मुझे बेटा मानती थी ये सबको पता है और रही दावे कि बात तो वकील साहब ने हिब्बानामा गलत लिख दिया था वो वास्तव में बैनामा था ऐसा कुछ कह कर वाढ वापस ले लू जिसमे ये जिक्र न आये कि मुझे बाद में पता चला कि प्रतिफल था और वो मुझे मौसी या पिता से पता चला मैं ये कहता हूँ कि प्रतिफल था और वो मेरी नानी ने दिया था आपको बता दूँ नानी जी का देहांत २०१५ में हो चूका है
यह मेरे सभी तथ्य है एक एक बात आपके सामने है कृपया एक अंतिम बार अपना बहुमूल्य सुझाव दे और मैंने आप लोगो को काफी परेशान किया कृपया इसके लिए क्षमा करे
AMAR NATH DUBEY (Querist) 01 May 2020
सॉरी ऊपर का पैराग्राफ दो बार लिख गया है
AMAR NATH DUBEY (Querist) 02 May 2020
मेरे में का तथ्य इस प्रकार है।
१ यह की हम प्रार्थी के नाना ने दिनांक १५/०९/२००५ को आरजी संख्या ८७४ में मौजा क में १५०० वर्ग फ़ीट का बैनामा किया था तथा इतने ही जमीन का बैनामा मेरे चाचा को किया था तथा हम प्रार्थी अपने जमीन पर मकान बना कर रहने लगे परन्तु बाद में मुझे पता चला की चाचा ने साजिश करके जालसाजी करके कूटरचित दस्तावेज तैयार करके प्रार्थी के नाम से उक्त जमीन पर ३२०००० का लोन ले लिया है प्रपत्र पर हम प्रार्थी का फर्जी हस्ताक्षर बनाया तथा हम प्रार्थी के फोटो के स्थान पर अपने भतीजे ।।।। निवासी ।।।। का फोटो लगाकर ऋण ले लिए है।
यह की प्रार्थी के हाईस्कूल के सनद की छाया प्रति इनके पास थी जिसमे प्रार्थी का जन्म तिथि १९९१ है जिसके अनुसार प्रार्थी लोन वाली तिथि पर १७ वर्ष का नाबालिग था परन्तु इन्होने जन्मतिथि में हेरा फेरी करके उसे १९८९ बना दिया जिससे हम प्रार्थी को १९ वर्ष का बालिग दिखाया
Rajendra K Goyal (Expert) 02 May 2020
You should take back the case filed by you as also advised earlier.

Presently you are owner of the ½ property, you should try to be satisfied with the present situation.
Rajendra K Goyal (Expert) 02 May 2020
So far as the question of the payment of consideration of Rs, 1,50,000/- is concerned, the same need to be explained in accordance of the situation warrant in case any proceeding is initiated in this regard.

You can take the plea, as mentioned by you, that your late Nani must have paid back the amount to your father afterwards.
Rajendra K Goyal (Expert) 02 May 2020
Even if the amount was paid by your uncle, his claim seems to be time barred now.

Your Mausies seem to have no solid ground in their claim in the property in the given situation.

Your criminal case against your uncle can be a good tool to bring them on negotiation table / settlement.
Rajendra K Goyal (Expert) 02 May 2020
Apply to the Bank to release / de-mortgage your share mortgaged with them fraudulently. Take up the matter with their controllers / head office. If no action file criminal case against the Bank Manager and civil case for releasing of your share.
Raj Kumar Makkad (Expert) 02 May 2020
आपके चाचा जी ने 1,50,000/- रुपया देने का कोई वाद आपके विरुद्ध दायर किया ही नहीं है इसलिए वह म्याद बाहर है अथवा नहीं, उसके बारे में राय देने अथवा लेने का कोई प्रश्न ही नहीं है।
Raj Kumar Makkad (Expert) 02 May 2020
दीवानी वाद वापिस लेने बारे आपने ऊपर लिख ही दिया है सो उस बाबत भी अब कोई संशय नहीं है तो उसके बारे मे बार-बार एक ही प्रकार कि राय देने का भी कोई अर्थ नहीं है।
Raj Kumar Makkad (Expert) 02 May 2020
आपकी मौसियों की ओर से आज दिन तक आपके विरुद्ध कोई वाद दायर किया ही नहीं गया तो उसके बारे मे आगे बढ़कर राय परामर्श भी आज दिन अपेक्षित नहीं है। अभी तो आपको जो काम बताया, वो कर डालो।
Rajendra K Goyal (Expert) 03 May 2020
Agree each and every plea in defense has to be taken on the basis of reliefs sought by other party.

No useful purpose would be served to discuss on the matters, which has not come in picture.
Raj Kumar Makkad (Expert) 03 May 2020
सलाह का मर्म समझने वालों का आभार और साधुवाद भी।
Raj Kumar Makkad (Expert) 03 May 2020
सलाह का मर्म समझने वालों का आभार और साधुवाद भी।
Rajendra K Goyal (Expert) 04 May 2020
You can proceed to get your property de-mortgaged from the Bank first.

Presently can withdraw your suit filed by you.

You have good case in your favor.


You need to be the querist or approved LAWyersclub expert to take part in this query .


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