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If police not take fir against their officer what is option

(Querist) 14 September 2014 This query is : Resolved 
Dear sir i have application to police for register F.i.r but if police not take fir against their officer what is option
application is blow
सेवा मे,
श्री मान चोंकी इंचार्ज
गुरुनानक पुरा फ़तेहाबाद,
विष्य- मुकदमां 247 एवं 262 /2013 पी.एस. सिटी फ़तेहाबाद में पुलीस अधिकारीओ के अपराधीओ से साठ-गांठ करने वाले अधिकारीओ के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज करने हेतू ,
श्री मान जी,
निवेदन है कि प्राथी के दो मुकदमें नं 247 दिनांक 18/5/13 U.S /363/366/120B IPC व नं-262 U.S /148/149/323/452/506 IPC दिनांक 26/5/13 थाना सिटी फ़तेहाबाद मे दर्ज हैं ओर दोनो की फ़ाईल देख कर पुलीस अधिकारी तो क्या आम ईन्सांन भी समझ जाएगा कि पुलीस ने किस तरह आरोपीओ से साज-बाज हो कर या रिश्वत ले कर उनको बचाने के लिए कानून का मजाक उडाया ओर अदालतो को गुमराह किया है I
1-इन दोनो मुकदमों मे पुलीस के कुछ अधिकारीओ ने मेरे दर्ज कराए गये मुकदमो मे संलिप्त पाए गए अपराधीओ से साठ-गांठ करके उन्हे शहर छोड कर भागने का वकत दिया, यहां होते हुए जान बुझकर गिरफ़तार नही किया, मुकदमे की फ़ाईल मे उन्को भगोडा दिखाते रहे ओर खुद उनसे 2 माह से अधिक समय बाद तक हमारी गुपत बातें उन्को बताते रहे है, जिससे एक छोटा सा मुकदमा इतना उलझ गया कि डेढ साल होने को है मुकदमा शुनय से चल कर एक पर भी नही पुहंच सका I फ़तेहाबाद पुलीस का यह पहला मामला है जिसमे डेढ साल बीत जाने तक एक को भी हिरासत मे नही लिआ गया, ओर ना ही एक भी गिरफ़्तारी हुई, एक भी मोबाईल नंबर सर्वीलान्स पर लगा, जिस भी मोबाईल नंबर या फ़ेसबुक की आई डी पुलीस को दी गई वैसे ही वो बन्द कैसे हो गई I
2-तत्कालीन एस.एस.पी फ़तेहाबाद ने लालच मे आकर अपने पद व शक्तीओ का दुरउप्योग करके मुकदमे मे नामजद आरोपी पंजाब सिह जो 363,366ए,120बी, मे नाम्जद आरोपी था ओर उसको इस केस मे कभी भी ना तो गिरफ़तार किया गया था, व ना ही हिरासत मे लिया गया था ओर चालान भी अदालत मे नही दिये गये थे किस हालात मे पुलीस विभाग ने उसको बिना किसी तफ़्सीश के ओर बिना किसी ट्रायल के ही उस आरोपी को बरी करने का आसान रास्ता निकाल लिया जिस्को हाई कोर्ट से नीचे तो आग्रिम जमानत भी नही मिल सकती थी Iजिसको इतने गंभीर आरोप होने के ओर अपहरण मे संलिपत्ता के ठोस सबुत होने के बावजुद पुलीस ने जानबुझ कर गिरफ़तार नही किया बल्कि उस्को हिरासत मे लिए बगैर ही एस.पी ने PTO-2
रिश्वत ले कर या किसी अन्य तरीके से साठ गाठ करके क्लीन चिट देने मे देर नही
लगाई ओर इस प्र्यास को सिरे चढाने के लिए ही ""इस माम्ले मे कोइ रोल नही पाया गया"" की डी.जी.पी को गलत,तथ्यहीण व रिकार्ड के विरुध रिपोट भेजी तांकि दोशी पंजाब सिह का नाम इस केस मे से कोर्ट मे चालान पेश करने से पहले ही दोशी का नाम गलत तरीके से बाहर निकाला जा सके I
इस तरह की तथ्यहीन ओर केस फ़ाईल के रिकार्ड के विपरीत रिपोटे सिरफ़ पुलीस के आला अधिकारीओं को ही नही बलकि अन्य कई सरकारी मानव अधिकार आयोग जैसी हाईअथार्टीज को भी गलत व तथ्यहीण पत्र/रिपोटें भेजकर गुमराह किया गया व मेरी भेजी गई सभी जायज दर्खास्तों को गलत ठहरा कर गलत तरीके से बन्द करवा दिया गया. अगर इस तरह की गलत कोई रिपोर्ट जो आरोपी के जमानत वाले दिन उस्के हाथ लग जाती तो उस्को इस्का पुरा व नाजायज लाभ तो मिलता ही साथ मे उस दोशी होने के बावजूद सीधे बरी हो जाता , पुलीस अधिकारीओ ने अपनी तरफ़ से पार्थी का केस कमजोर करने मे कोई कसर नही छोडी I
3- तत्कालीन एस.एच.ओ सिटी फ़तेहा बाद ने भी प्रार्थी दुवारा दी गई जायज दरखासतो को पद व शक्ती का दुर-उप्योग करते हुए गलत रिपोटें भेज कर माम्ले को सही दिशा मे जाने से रोकने के साथ साथ, प्रार्थी की उच्चाअधिकारीओ को भेजी हुई जायज दरखासतों की गलत रिपोटे करके उन्हे गलत,आधारहीन,पुलीस पर दबाव बनाने के लिये दी गई झूठी दर्खासत बता कर बन्द करवा कर दफ़तर दाखिल या बन्द करवा कर मेरे को मिलने वाले नयाय के रासते मे रुकावट डाली , व केस के जाच अधिकारी के अनुसार उस्को मुल्जिमो को गिरफ़तार करने,या हिरासत मे लेने की पावर छीन ली ओर खुल्कर काम नही करने दिया जो सरासर अपने पद ओर शक्ती क दुरउप्योग करके जाच कार्य मे बाधा डाल्ना,पद ओर पावर क गलत इस्तेमाल करना है I
4-प्रार्थी के बार बार सी.आई.ए को ट्रांसफ़र करने की गुहार लगाने के बावजुद भी माम्ले को पुलीस ने क्यों जकडकर पक्डे रखा उसे क्यों नही ट्रांसफ़र किया गया क्या वह जांच एजैंसी नही थी , तत्कालीन डी.एस.पी. हैडक्वाटर दहीया साहब ने हमरी दरखासत पर माम्ला सी.आई.ए , को ट्रांसफ़र करने का आदेश भी दे दिया था मगर उसी दिन डी.एस.पी. सिटी नॄपजीत सिह को पता चल्ते ही किस मजबूरी के कारण फ़ाईल को सी.आई.ए की बजाए महिला मंडल मे भेजने की सिफ़ारश की थी जो जांच एजैसी ना हो कर तलाक के माम्लों में पंचाय्तें ही करवा सकते हैं I डी.एस.पी. सिटी नॄपजीत सिह भी पूरी तरह संदेह के घेरे में है जो खुद भी दोशीयो से मिले हुए थे या उन्हे उनको भी पता नही था कि इस तरह के मुकदमे मे जांच कोनसी एजैंसी कर PTO-3
सक्ती है कौनसी नही I
5- मेरे घर पर मुझ पर हम्ला करने वाले पुरे गिरोह की पुरी संलिप्तता को जान बुझ कर उजागर नही किया व अन्य की जगह सभी लोगों के नाम पता चल जाने के बावजूद भी साठ गाठ के कारन छोडा गया जिसका सीधा सबंध इस अपह्रण कांड से जुडा हुया था मगर पुलीस ने जान-बूझ कर अन्देखा किया ओर इस केस के तार क कनैक्शन नही जोडे जो पंजाब सिह की काल डिटेल मे साफ़ दिख रहा है कि 24-25 मई 2013 को पंजाब सिह ने वीरो से हम्ला करने की योजना बनाई थी ओर 26 मई 2013 को सुबह ही सीता राम को इस बाबत सलाह ले ली होगीI 26 मई 2013 को तकरीबन 2 बजे दोपहर को हम्ला हुया था उस्से पह्ले इन्के हम्ला कर ने वाले ग्रुप से पंजाब सिह से पोने दो बजे तक लगा तार सम्पर्क रहा ओर हम्ला करने के तुरन्त बाद दो बज कर चालीस मिन्ट पर फ़िर वार्तालाप शुरु हो गया मगर पुलीस को इन दोनो ग्रुपो मे कोई सबन्ध क्यो नही मिला जबकि काल डिटेल को पढ कर साफ़ पता चल्ता है कि पुरा हमला सुनयोजित तरीके से छ्ड्यंत्र रच कर किया गया
पुरा घट्नाक्रम साफ़ तौर पर इशारा करता है कि यह अपहरण,जानलेवा हम्ला,ओर चोरी के घट्नाओ मे सीता राम I.O H-464 सहित तत्कालीन पुलीस अधिकारीओ से साज-बाज हो कर घट्ना को अंजाम दिया गया था ,
आपसे निवेदन है कि उक्त खाकी वर्दी के लिबास में छुपे दरिन्दों,ळुटेरों व अपराधीओं से सांठ-गांठ करने वाले अधिकारीओ खिलाफ़ चाहे वो सिपाही हो या एस. एस.पी रैंक का अधिकारी तुरंत अपराधीयो से सांठगांठ करना, जाल्साजी,धोखाधडी,जान बुझ कर आर्थिक व मान हानी पुहंचाने, अपराधीओ को शह व सहायता देने, लापरवाही,अदालतों को गलत तथ्य पेश करके गुमराह करने के जुर्म मे मुकदमा दर्ज करके गहन जाच पड्ताल की जाए कि किस अधिकारी ने किस तरह मुल्जिमो की सहाय्ता की व वादी को किस तरह से नुक्सान पुहंचाया इस बाबत किसी भी दस्तावेजी प्रमाण की आवश्य्क्ता हो तो मांग पर प्रार्थी उपलब्ध करवा सकता है I आपकी अति कॄपा होगी,
धनयवाद सहित,
प्रार्थी,
मनोज कुमार
दिनांक-10/9/14 पुत्न श्री किरपा राम,
C. C TO 1,S.P गली नं 9 वार्ड नं 19,
2-D.C भाटीया काळोनी फ़तेहाबाद
PH-94161-07685

Ashish Dongre (Expert) 14 September 2014
If police didnt take any action you can approach higher authority, If then also it Doesnt stop than you can always file a private complaint directly before the magistrate and state all your content in that,Hire Local advocate for the same...
Nadeem Qureshi (Expert) 14 September 2014
FILE A complaint u/s 156(3) of cr.p.c. before court with the help of a lawyer.
ajay sethi (Expert) 14 September 2014
if police station is refusing to register FIR lodge complaint with Commissioner of police . if still FIR is not regsitered lodge complaint under section 156(3) before magistrate
Rajendra K Goyal (Expert) 14 September 2014
File complaint u/s 156(3). Agree with the expert.
Devajyoti Barman (Expert) 14 September 2014
agree with experts.


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