जीवनसाथी पर शक है, डीएनए टेस्ट कराओ...
नई दिल्ली, पुनः संशोधित: गुरुवार, 16 अक्टूबर 2014 (16:53 IST)
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नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवनसाथी पर शक है और वह उसकी बेवफाई के बारे में जानना चाहता है तो डीएनए टेस्ट कराने की अनुमति दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि अगर इस टेस्ट को लेकर दंपति में से कोई भी विरोध करता है तो विरोध करने वाले पर इसका असर पड़ सकता है और फैसला उसके खिलाफ भी जा सकता है।
न्यायाधीश जेएस खेहर और आरके अग्रवाल की बेंच ने इस मुद्दे पर कोलकाता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें एक बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया गया था। पूरा मामला 6 दिसंबर 2012 का है। जिसमें कोलकाता के रहने वाले याचिकाकर्ता ने पत्नी पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके बच्चे का पिता कोई और है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को लगता है कि उसके लिए अपने आरोपों को साबित करने का एकमात्र जरिया डीएनए टेस्ट है। इसके लिए कोर्ट भी सहमत है। उल्लेखनीय है कि कोलकाता निवासी रोनोब्रतो रॉय ने अपने पत्नी पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए तलाक की मांग की थी।
रॉय के मुताबिक 9 फरवरी 2003 में उनकी शादी दीपनविता से हुई। शादी के बाद उनकी पत्नी कभी उनके साथ नहीं रही। ऐसे में उनके बच्चे के पिता वो कैसे हो सकते हैं। इसी को आधार बनाकर उन्होंने कोर्ट में डीएनए टेस्ट कराने की अपील की।
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