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Arun kumar jangra (c c a)     01 May 2015

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मेरी बीवी के मामा ने अपने घर से 2012 में दहेज़ का केस किया था  मेरे मेरी माँ मामा जीजा बहन बाप क नाम लिखवाये थेे ।ये केस मुज़फ्फरनगर कोर्ट में फाइल किया था और कोर्ट से महिला थाने में गया फिर मधयस्ता केंद्र मे मौखिक समझोता हो गया लड़की को में अपने साथ किराये के कमरे पर रखूं ।

अब 2015 में लड़की की माँ मामा ने मिलकर बीवी को बहक दिया और हमारा सारा सामान लेकर बीवी मेरी माँ के घर में ताला तोड़ कर रहने लगी। और घर में आधा हिस्सा मांगने लगी मेरी माँ दे दिया पर नाम नहीं किया। बीवी ने अपने मामा के कहने पर घर के बिच में दिवार करवा दी।

अब लड़की के मामा के घर मुज़फ्फरनगर कोर्ट से नोटिस आया हे की केस बंद करना हे या चालू । बीवी रोज परेशां करती हे की अगर

वाशिंग मशीन ला नहीं तो जज को शिकायत करुँगी।

फ्रिज ला नहीं तो जज को शिकायत करुँगी

दिवार करने के पैसे दे नहीं तो जज को शिकायत करुँगी।

बच्चे को महंगे स्कूल में एडमिशन करवा।

क्या ये दहेज़ का केस में ख़ारिज या बिलकुल ख़त्म करवा सकता हूँ

क्या लोअर कोर्ट इसे खरुज कर सकती हे।

या मुझे अलाहबाद हाई कोर्ट जाना पड़ेगा ।

क्या हाई कोर्ट ख़तम कर सकता है।

इसमें पुलिस की FR 2012 में ही लग चुकी हे।

 

 



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