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Sarvesh Kumar Sharma Advocate (Advocacy)     13 October 2009

MASTERMIND TERORIST HAFIJ SAEED

 

मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद बाइज्ज़त बरी -

दृश्य : लाहौर की एक क्रिमिनल कोर्ट ।

जमादार : मुलजिम हाफिज सईद हाज़िर हों sssss ।

हाफिज सईद : मादर…, नाबीने की औलाद । दीदे फूट गये हैं तेरे । सामने ही तो खड़ा हँ, क्यूं हलक फाड़ कर चिल्ला रहा है । जिस दिन ए.के. -47 की नाल हलक में घुसेड़ दूंगा उस दिन सुनूंगा तेरी आवाज़ ।

जमादार : माई बाप, मुआफ करें, नौकरी है, सो चिल्लाना पड़ता है । फिर आपको कौन नहीं जानता । हिन्दुस्तान से लेकर अमरीका तक बड़े हल्ले हैं आपके । तशरीफ लाइये । अदालत इंतज़ार कर रही है ।

हाफिज सईद : अबे साले, इंतजार तो हमारा मियां मुशर्रफ तक किया करते थे, ये दो टके की अदालत क्या चीज़ है । भैन….., एक तो मुल्क और इस्लाम के लिए ज़िहाद का नारा बुलंद करते फिरो, ऊपर से ये कोर्ट-कचहरी का चक्कर अलग से । अब कोर्ट में हाजिरी दें कि हिन्दुस्तान में दहशत गर्दी का नंगा खेल खेलें । जब से हरामखोरों ने नज़रबंद किया है ज़िंदगी दोज़ख हो गई है । दो महीने हो गये किसी कश्मीरी औरत के साथ जिना किये।

जज : अरे! आइये, आइये हाफिज साहब । आदाब । आज इधर कैसे आना हुआ आपका । सब खैरियत तो है ।

हाफिज सईद : खुदा खैर करे । जब मुल्क के सिपाही बंदूक छोड़ कर अदालतों के चक्कर लगायेंगे तब परवरदिगार ही इस मुल्क पर रहम खा सकता है ।

जज : ओ अच्छा, अच्छा । अब समझा । कहां तो सरकार को मुबंई हमले के लिए आपको निशाने- पाक से नवाज़ना चाहिए था और कहां काफिरों के ज़रा सा चिल्लाने पर आपको नज़रबंद कर दिया । मिट्टी पड़े मरदूदों के मुंह पर । आप आराम से तशरीफ रखिये । क्या लेंगे ? ठंडा गरम या फिर कुछ खाने को मंगाये ।

हाफिज सईद : अरे नहीं, नहीं । तकल्लुफ़ क्यूं करते हैं । अभी दो प्लेट कबाब घर से खा कर निकला हूं । आज नहीं, फिर कभी घर आकर मजे से चाय-नाश्ता कर जाउंगा । बच्चे कैसे हैं । बेगम का कौन सा महीना चल रहा है । कितने बच्चे हो गये आपके? सात हैं कि आठ ?

जज : आपकी याद्दाश्त भी अब कमज़ोर होने लगी है । नौ तो पहले से ही थे । अबकी जुलाई में कुल दस हो जायेंगे । बड़ा करम है अल्ला ताला का ।

हाफिज सईद : आप भी इस्लाम के सच्चे सिपाही हैं । जितने बच्चे होंगे उतना ही इस्लाम मजबूत होगा । सबको मेरे मदरसे में तालीम के लिए भेज देना । सबको तालिबानी बना दूंगा ।

जज : जी, जी, बहुत अच्छा, शुक्रिया आपका । हां, पेशकार मुकद्दमा शुरू किया जाये ।

सरकारी वकील आगे आता है ।

जज : आप सरकार की तरफ से वकील हैं । मुलजिम का वकील कहां है ।

सरकारी वकील : हुजूर, मैं सरकार और मुलजिम दोनों का ही वकील हूं । सरकार का वकील बन कर नौकरी बजा रहा हूं और हाफिज साहब का वकील बन कर इस्लाम की मदद कर रहा हूं ।

जज : अच्छा ठीक है । बहस शुरू करें ।

सरकारी वकील : हुजूर, मुलजिम पर इल्जाम है कि उसने भारत के शहर मुंबई पर आतंकी हमले के लिए दहशतगर्दों को ट्रेनिंग दी, हथियार और रूपये मुहैया कराये और हमले का पूरा मंसूबा भी इन्होंने ही तैयार किया ।

जज : वकीले सफाई का क्या कहना है ।

वकील सफाई : हुजूर, ये इल्जाम सौ फीसदी सही हैं । लेकिन चूंकि मुलजिम ने ये सारी कार्यवाही इस्लाम और मुल्क के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए की है, इसलिए मुलजिम के जज्बातों का ख्याल रखते हुए इस नेक काम के लिए उसकी हौसलाअफजाई करनी चाहिए और बाइज्ज़त बरी किया जाना चाहिए । ज़िहाद के लिए मर मिटने वाले खुद्दार सैनिकों की जगह अदालतों और कैदखानों में नहीं है । उन्हें तो काफिरों को उन्हीं की ज़मीन पर जिबह करने और उनकी औरतों, बच्चियों के साथ जिना करने का पाक काम अजांम देना होता है ।

जज : ठीक कह रहे हैं आप । सरकारी वकील साहब, मुलजिम के खिलाफ आपके पास कोई सबूत या गवाह है या सिर्फ कोरी लफ्फाजी से ही आप काम चलायेंगे ।

सरकारी वकाल : हुजूर, भारत से कुछ रद्दी दस्तावेज़ भेजे गयें हैं, जिन्हें कि वो सबूत कह रहे हैं ।

वकीले सफाई : जज साहब, अब भला कागज़ के चंद टुकड़ों के बिना पर क्या हम मुल्क और इस्लाम के खैरख्वाह इस इंसान को कैद कर सकते है । अब ऐसे ही काफिरों की चिल्ल-पों पर कान देने लगेंगे तो हो चुका ज़िहाद और बन चुका पाकिस्तान मुस्लिम देशों का सरदार । अब देखिए इतने सबूत थे डा0 अब्दुल कादिर खां साहब के खिलाफ, अमरीका पीछा पड़ा हुआ था कि उन्होंने ही लीबिया, ईरान जैसे मुल्कों को परमाणु तकनीकि मुहैया करायी थी, तो क्या हम हमारे मुल्क के महान साइंसदान को तिल तिल कर मरने के लिए सी. आई. ए. को सुपुर्द कर देते । फिर हुजूर क्या कोई मुल्क अपने बहादुर सिपाहियों पर इसलिए मुकद्दमा चलाता है कि उसने दुश्मनों को हलाक किया था । भारत के लिए हाफिज साहब भले ही अपराधी हो लेकिन हमारे लिए तो वो इस्लाम का परचम लहराने वाले एक बहादुर सिपाही हैं और पूरे मुल्क को उन पर नाज़ है । मुल्क की भलाई के लिए और ज़िहाद के झंडे को ऊंचा बनाये रखने के लिए मैं इस अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि इस महान शख्सियत और सिपाही को इस अदालत से बाइज्ज़त बरी किया जाये ।

जज: सरकारी वकील को और कुछ कहना है ।

सरकारी वकील : नहीं हुजूर । आप जैसा मुनासिब समझें फैसला सुनाएं ।

तभी अदालत का एक कर्मचारी आकर जज के कान में कुछ कहता है ।

कर्मचारी : हुजूर, बलुचिस्तान से मुल्ला उमर और लादेन साहब का तार आया है कि हाफिज साहब को ज़िहाद का परचम लहराने के लिए जल्द से जल्द रिहा किया जाये ।

जज : अच्छा, अच्छा ।

जज : दानों तरफ की दलीलों को सुनने के बाद और पेश किये गये चंद रद्दी सबूतों को देखने के बाद ये अदालत इस फैसल पर पहुंची है कि मुलजिम हाफिज सईद कतई गुनेहगार नहीं हैं और चूंकि भारत के कानून पाकिस्तान में लागू नहीं होते हैं और कोई भी मुल्क अपने सिपाहियों को बहादुरी के एवज में उन्हें इनामों से नवाज़ता है नाकि उनको सजा सुनाता है इसलिए ये अदालत इस्लाम और मुल्क के आला सिपाही हाफिज सईद साहब को बाइज्ज़त बरी करती है ।

भीड़ : मुबारक हो, मुबारक हो ।

पत्रकार : हाफिज साहब अब आप आज़ाद हैं । सबसे पहला काम अब आप कौन सा करेंगे ।

हाफिज सईद : बहुत दिन हो गये किसी काफिर का कत्ल किये हुए और कमसिन कश्मीरी सेब दांतो से काटे हुए । कुछ दिन मुज्ज़फराबाद में रह कर पहले शरीर की थकान उतारूंगा उसके बाद कश्मीर की आज़ादी के लिए फिर से ज़िहाद शुरू करूंगा । अच्छा खुदा हाफिज ।



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 2 Replies


(Guest)

Sharmas ji,

Jab hamara hindustan adalat Hafiz Saeed jaisa aatankvaeedi logo ko teek se saja nehi deth ye, kya pakistani adalat saja dethi? 

adv. rajeev ( rajoo ) (practicing advocate)     14 October 2009

Still afjal guru is in the safe custody of indian police, the bladdy politicians are not taking decesions to hang him because they are worried about their vote, if they hanged they may loose particular community vote, they will all india for their vote one or the other day.

One thing I want to say. in britian Atley was the opposition party lead and churchil were the opponents, since their college days they were opponent, at the time of granting the independence to the India, churchil denied to give the independence to india. One fine day Atley came to the churchil's house. The gateman informed churchil then churchil thought what mistake I have done Mr. atley is coming to my home.

When atley came to churchil's house he welcomed the ately, before entering the house atley in a angry mood what mr. churchil u r not in favour of giviing independence to india, then churchil said Mr. Atley I thought u r very clever, but not and then again he said India will be ruled by scoundarls. which has now become true.

Then what's about the Pakistan, they are born scroundals.so how come justice is expected there


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