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raj kumar ji (LAW STUDENT )     30 May 2011

After 41 yrs widow gets justice !!!

 

नई दिल्ली भारतीय रेलवे में कार्यरत अपने गेटकीपर पति की मौत के 41 साल बाद कानूनी लड़ाई में 90 वर्षीय देहाती महिला की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तीन महीनों के अंदर वे महिला को पेंशन, ग्रेच्युटी सहित अन्य मदों की देय राशि का भुगतान करें।



 

शीर्ष कोर्ट ने डीआरएम को एक वरिष्ठ अधिकारी को महिला की मदद के लिए तैनात करने के निर्देश दिए हैं। यह उसका बचत खाता खोलने से लेकर हर तरह से सहयोग करेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो निचली कोर्ट में 2006 में जारी आदेश की तिथि से डीआरएम को देय राशि पर निजी रूप से 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज चुकाना होगा।



 

गेटकीपर करतारा को 1970 में रेलवे ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी। उसके बाद उसकी मौत हो गई। उसकी पत्नी करतार कौर 90 वर्ष की है और वह पंजाब के एक गांव में रहती है। कई वर्षों तक वह रेलवे अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाती रही और उनसे पारिवारिक पेंशन के साथ ही करतारा को मिलने वाली ग्रेच्युटी आदि राशि की मांग करती रही। करतार कौर का एक रिश्तेदार 1996 में जब उनसे मिला तो उन्होंने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। रेल मंत्रालय ने संवेदनहीनता दिखाते हुए मौत के 26 साल बाद कोर्ट में मामला उठाने पर ही सवाल खड़े किए। बठिंडा की निचली अदालत और उसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।



 

रेलवे ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। जस्टिस जीएस सिंघवी और चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया। बेंच ने रेलवे को करतार कौर को देय राशि तीन माह में चुकाने का निर्देश दिया।



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