Mayank ●๋•яσ¢к ωιтн мe
इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ, सब को अपना कह सकूँ, ऐसा ठिकाना चाहता हूँ, टूटे तारों को जोड़ कर, फिर आजमाना चाहता हूँ, बिछुड़े जनों से स्नेह का, मंदिर बनाना चाहता हूँ. हर अन्धेरे घर मे फिर, दीपक जलाना चाहता हूँ, खुला आकाश मे हो घर मेरा, नही आशियाना चाहता हूँ, जो कुछ दिया खुदा ने, दूना लौटाना चाहता हूँ, जब तक रहे ये जिन्दगी, खुशियाँ लुटाना चाहता हूँ ..
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