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raj kumar ji (LAW STUDENT )     19 April 2011

supreme court says

नई दिल्ली.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक है और सरकार किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से उसकी जमीन से बेदखल नहीं कर सकती। जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की बेंच ने एक फैसले में कहा कि जल्दबाजी में जमीन अधिग्रहित करने की सरकारी कार्रवाई पर अदालतों को संदेह जताना चाहिए।

जस्टिस सिंघवी ने लिखा, ‘अदालतों को रुढ़िवादी रवैया अख्तियार नहीं करना चाहिए, जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ है। किसी भी मामले में सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के संवैधानिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में फैसले होना चाहिए। संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रहा, बल्कि एक महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार हो गया है। अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कानून के अलावा कोई भी उसकी संपत्ति से वंचित नहीं कर सकता।’

गौतम बुद्ध नगर में उद्यमियों के लिए वर्ष 2008 में ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से राज्य सरकार ने 205 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जमीन के मालिकों राधेश्याम एवं अन्य ने अधिग्रहण को इस आधार पर चुनौती दी थी कि सरकार ने जमीन अधिग्रहण अधिनियम की धारा 17(1) और 17(4) के तहत आपत्तियां आमंत्रित नहीं की थी। हाईकोर्ट ने जमीन मालिकों की याचिका खारिज कर दी थी, जिस पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।



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