बुधवार की रात करीब सवा दस बजे हमारे घर जीवाजीगंज से दो पुलिसकर्मि आये बोले कि छेड़छाड़ का केस है विशाल पिता दिनेश कहा है उसके साइन लेना है केस खत्म करना है जब उनको बताया गया यहा ऐसा कोई नही रहता ताऊजी है परंतु वे यह नही दूर रहते है तो सुबह हमारे ताऊजी जिनका नाम भी दिनेश है एवं उनके पुत्र का नाम भी विशाल है लेकिन वह हमारे घर से काफी दूर दूसरी कॉलोनी में रहते है वहा एक आरक्षक जाकर बोलता है कि विशाल को भेजो वहां से मना करने पर वापस हमारे घर मे सीधा घुस कर पूछताछ करने लग जाता है कोन है विशाल यदि गलती से कोई भी कह देता की में हु विशाल तो सीधा जुलूस निकाल सकते थे इस कृत्य से हमे मानसिक और शारीरिक हानि पहुची जब उसको समझ कर भेजा जाता है की यहा कोई विशाल नही है कृपया ढंग से जांच करे तब बड़ी मुश्किल से वह जाता है फिर दोपहर में वह सॉरी बोलने आता है कहता है दूसरे क्षेत्र का विशाल था नाम की वजह से गफलत हुई अब सवाल यह है कि जब एफआईआर हो चुकी थी विशाल की तो फिर पुलिस उसे शक्ल से और उसका पता क्यों नही जानती थी यह कैसे संभव है जबकि वह लड़का कोई और था जानभुजकर छवि खराब की जबकि वह विशाल अब्दलपुरा के क्षेत्र का निकला जो यहा से अलग क्षेत्र है जीवाजीगंज पुलिस की यह पहली लापरवाही की घटना नही है इससे दो तीन दिन पहले एक 23 साल का लड़का पुलिस की प्रताड़ना से आत्महत्या कर लिया था यह लोग विशाल का क्षेत्र में जुलूस निकालने के लिए धुंध रहे थे जबकि हमारे परिवार का कभी कोई आपराधिक रिकॉर्ड नही रहा यदि हमारे घर के निर्दोष बच्चे का जुलूस निकाल देती तो हमारे पास आत्महत्या के अलावा क्या विकल्प रह जाता हमारी हत्या का जिम्मेदार कौन होता
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