एक व्यक्ति का जन्म म०प्र० में हुआ । किन्तु चार वर्ष कि आयु से अपने मौसी के यहां रहने लगा । सन् १९९६ में अपना निवास व जाति प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश से बनवा लिया परंतु कुछ दिनों बाद उसका निवास व जाति प्रमाण पत्र खो गया तत्पश्चात सन 2007 में उसने दोबाराअपना जाति व निवास प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश से बनवा लिया उसी दौरान उसने अपना जाति व निवास प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश से भी बनवा लिया तथा सन् 2008 में उसने अपना जाति व निवास प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश से निरस्त करवा लिया उस समय जब उसने उत्तर प्रदेश में जाति व निवास प्रमाण पत्र बनवाया था तो उसका मध्य प्रदेश वाला जाति व निवास प्रमाण पत्र रन कर रहा था अर्थात सन 2007 में उस व्यक्ति के पास दो प्रदेशों की नागरिकता थी दौरान जांच में पाया गया कि उसने जो भी जाति व निवास प्रमाण पत्र जारी करवाया है सभी सरकारी कार्यालयों से निर्गत है तथा सही व सत्य है परंतु अब तक की जांच से यह पाया गया कि उसने उत्तर प्रदेश में जब जाति व निवास प्रमाण पत्र बनवाया तो इस तथ्य को छिपाकर बनवाया की उसका जाति व निवास प्रमाण पत्र पहले से मध्यप्रदेश में बना है तथा निरस्तीकरण सन 2008 में मध्यप्रदेश से करवाया जबकि उसके 1 वर्ष पूर्व ही उत्तर प्रदेश से सन 2007 में जाति व निवास प्रमाण पत्र जारी करवा लिया तथा उत्तर प्रदेश के जाति व निवास प्रमाण पत्र का लाभ लेते हुए आरक्षण का लाभ लेते हुए सन 2009 में उत्तर प्रदेश में ही अध्यापक के पद पर नियुक्ति पा लिया क्या उक्ति व्यक्ति ने कूट रचना की है उसके इस कृत्य पर आईपीसी की कौन-कौन सी धाराएं लगेंगी ?
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